तुरत षडानन आप पठायउ। लवनिमेष महँ मारि गिरायउ॥
कभी-कभी भक्ति करने को मन नहीं करता? - प्रेरक कहानी
पुत्र हीन कर इच्छा कोई। निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई॥
भाल चन्द्रमा सोहत नीके। कानन कुण्डल नागफनी के॥
नमो नमो दुर्गे सुख करनी। नमो नमो दुर्गे दुःख हरनी॥ निरंकार है ज्योति तुम्हारी। तिहूँ लोक फैली उजियारी॥
एक कमल प्रभु राखेउ जोई। कमल नयन पूजन चहं सोई॥
जय जय जय अनंत अविनाशी। करत कृपा सब के घटवासी॥
जरत सुरासुर भए विहाला ॥ कीन्ही दया तहं करी सहाई ।
हनुमान चालीसा लिरिक्स
प्रगट उदधि मंथन में ज्वाला। जरे सुरासुर भये विहाला॥
नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे। सागर मध्य कमल हैं जैसे॥
कार्तिक श्याम और गणराऊ। या छवि को कहि जात न काऊ॥
सहस कमल में हो रहे धारी। कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी॥
किया उपद्रव Shiv chaisa तारक भारी। देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी॥